आलस्य में दारिद्र्य
आलस्य, सक्षम नहीं हूँ,
होता नहीं है
या संभव नहीं है
ऐसी चिन्ता और चलन से
सावधान
और सतर्क रहो, --
कारण,
ये सब सहज में ही
वंश परम्परा में संक्रामित होते हैं
एवम
पारिपार्श्विक इनके द्वारा
दुष्ट बन जाते हैं; --
फलस्वरूप वंश, समाज और देश
मूढ़, मुह्यमान और अवसन्न होकर
विशाल दरिद्रता में
निःशेष हो जाते हैं ! |29|
--: श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र, चलार साथी