समर्थता में 'ना'
और, समर्थता की चिन्ता में
जो 'ना' को बुलाकर
जाँच लेना चाहता है--
'ना' जिसका इतना विश्वस्त है !--
'ना' के बिना जिसका कोई भाव, कोई चिन्ता,
कोई कर्म-परिचालना ही नहीं होता,
समर्थ होने या करने का इंतजाम-बात
वह जितना ही क्यों न करे,
उसके सबकुछ 'ना' को आलिंगन कर
अवश होकर सो पड़ते हैं ! |24|
--: श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र, चलार साथी
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