शुक्रवार, अक्टूबर 1

Jay Mein Prayojan-Pooran

जय में प्रयोजन-पूरण

यदि जय ही चाहते हो
वाह्यिक शक्ति परिचालना में
अभिभूत करके नहीं
बल्कि उसके प्रयोजन की पूर्ति में
तुम मुखर
और वास्तव
होकर उठ खड़े हो !  |22|

--: श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र, चलार साथी

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