सोमवार, सितंबर 27

Chintaa-Vilaasi

चिन्ता-विलासी

जभी देखो
तुम्हारी कोई चिन्ता और चलन
कर्म को आवाहन नहीं करता है
या उसमें लगी नहीं रहता--
समझ लो
वह तुम्हारी चिन्ता या कल्पना की
विलासिता है !  |18| 

--: श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र, चलार साथी

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