कृतार्थता का राजलक्षण
विश्वस्तता, कृतज्ञता और कर्मपटुता के साथ
विपत्तियों के जरिये
जिसका शुभ और सुयोग दर्शन
व्यक्त होता है--
अतिनिश्चयता सहित
तुम कह दे सकते हो--
वह जैसा ही क्यों न हो--
कृतार्थता का मुकुट
उसके मस्तक पर
सुशोभित होकर रहेगा ही ! |16|
--: श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र, चलार साथी
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