मंगलवार, मार्च 22

Sevaviheen Ki Daavi

सेवाविहीन की दावी 

मनुष्य की सेवा-- 
जिससे वह स्वस्ति, शांति 
और आनंद पाता है, 
अंततः ऐसा कुछ किये बगैर 
लेने के समय 
अपना कहकर दावी करके 
लेने मत जाओ ;-- 
उससे प्राप्ति तो होगी ही नहीं, 
बल्कि लांछना व अवज्ञा ही 
तुम्हें 
अपघात से क्षुब्ध कर देगी !  |43|

--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचन्द्र, चलार साथी

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