CHALAAR SATHI
गुरुवार, मार्च 17
Krodh Mein Doordarsha
क्रोध में दुर्दशा
क्रोध जिसे क्षिप्त कर
स्वार्थान्धता के वशीभूत होकर
दूसरे को व्याहत करता है,
दुर्दशा
दिग्विजयी होकर
अट्टहास करके उसका अनुसरण करती है ! |35|
--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचन्द्र,
चलार साथी
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