लोभ
यथोपयुक्त प्रयोजन को
अतिक्रम कर
अतिरिक्त की उदग्रीव आकांक्षा को ही
लोभ कहा जा सकता है ; --
तुम उस अतिक्रमण से
सावधान रहो,
कारण, वह तुम्हें
अवसन्नता में परिचालित कर
मृत्यु में निःशेष कर सकता है ! |34|
--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचन्द्र, चलार साथी
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