गुरुवार, मार्च 17

Ripudaman

रिपुदमन 

काम, क्रोधादि रिपुओं को 
दमन करने के प्रयास में 
बेचैन मत होओ,--
वही बेचैनी का भाव 
उनकी प्रतिष्ठा ही करता है ; 
बल्कि उद्दीप्त रिपु को 
ऐसे किसी भी चित्ताकर्षक 
विषय या भाव में लगाकर 
उसे निरस्त करो 
जिससे उसका प्रश्न ही 
तुम्हारे मस्तिष्क में कम उठे ;-- 
देखोगे, रिपु को आयत करना कितना सहज है !  |38|

--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचन्द्र, चलार साथी 

कोई टिप्पणी नहीं: