दरिद्रता का बंधु
आलस्य, अविश्वास, आत्मम्भरिता
और अकृतज्ञता की तरह
बंधु या मित्र रहने से
दरिद्रता को और खोजना नहीं पड़ेगा;--
यहाँ तक कि इनमें से कोई एक भी
दरिद्रता का ऐसा बंधु हैं--
इनमें से किसी को छोड़कर
जो नहीं रह सकता,
ऐसा धन यदि तुम्हारे अन्तर में
बसोबास करता है,
दुःख के अभाव की बलाई को
और सहन नहीं करना पड़ेगा ! |32|
--: श्री श्री ठाकुर अनुकूलचन्द्र, चलार साथी
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