गुरुवार, मार्च 17

Sanchay Aur Seva

संचय और सेवा 

संचय करो,-- 
किन्तु सेवा के लिये !
तुम्हारा संचय यदि 
सेवा की ही पूजा न करे, 
तो निश्चय जानो-- 
वह 
उसी के लिये है 
जो वर्द्धन को क्षुन्न करता है !  |39|

--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचन्द्र, चलार साथी 

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