रविवार, नवंबर 20

Yathaarth Prem

यथार्थ प्रेम 

प्रेम मनुष्य के अन्तर को उच्छल करके
         पारिपार्श्विक में उत्सारित होकर
                  प्रिय की सेवा और याजन से
                             प्रतिष्ठा करता है ; --
और, ऐसा लक्षण जहाँ नहीं है
         वहाँ संदेह करो,
                  समझने की चेष्टा करो  !   |55|

--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचन्द्र, चलार साथी 

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