CHALAAR SATHI
रविवार, नवंबर 20
Yaajan Ki Apravruti Mein Gyaan Aur Bodh Ki Deenata
याजन की अप्रवृति में ज्ञान और बोध की दीनता
जभी देखोगे
तुम्हारी याजन-प्रवृति दीन हो रही है
या
रुक गई है,
ठीक समझो,
तुम्हारे अन्तर के बोध
और
उपभोग
दिनोंदिन स्थविर होने लगे हैं
और हो रहे हैं ! |56|
--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचन्द्र,
चलार साथी
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