मंगलवार, सितंबर 30

प्रेम में कर्मप्रवणता

प्रेम से,
दृढ़ता, आमोदशीलता
और, कर्म प्रवणता का अभ्युत्थान होता है,
और,
अप्रेम से
अवसन्नता, अकर्मण्यता, दुःख
और
अशांति ही आती है ! 8
--: श्री श्री ठाकुर, चलार साथी

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