बुधवार, अक्टूबर 1

शुभदर्शी और मन्ददर्शी

शुभदर्शी ही देख पाता है
आपदा, विपदा, व्याघात और दुःख में
उन्नति और आनंद का
एक सुनहला मौका !--
किंतु मन्ददर्शी
सारी अच्छाइओं में
अबाध देखेगा अपारगता, असम्भवता--
एक दूरदृष्ट का दूरपनेय दूर्भोग ! 9
--: श्री श्री ठाकुर, चलार साथी

1 टिप्पणी:

Pushpa Bajaj ने कहा…

Jai Guru Apka Prayash kitna prernadayi hai.
Dhanyavad.