मंगलवार, सितंबर 23

कृतकार्यता में क्रमागति

तुम जानो या नहीं जानो,
समर्थ हो या असमर्थ--
तुम्हारी चेष्टा की क्रमागति अटूट,
अव्याहत रहे,--
सिद्धि का पथ ढूंढ लो--
कृतार्थ होगे
कृतकार्यता आयेगी;
और तुम्हारी प्रतिष्ठा
तुम्हारे आदर्श को
प्रतिष्ठित करेगी ही--
निश्चय जानो ! २
--श्री श्री ठाकुर, चलार साथी

कोई टिप्पणी नहीं: