रविवार, अक्टूबर 5

दोषदर्शन

दोष देखने में ही --
यह सोचना होगा,
चिंता करके ढूँढ़ निकलना होगा; --
और उसके साथ
एक विरक्ति या आक्रोश के बोध को
सजग रखना होगा, --
और, ऐसा करने के लिए
मस्तिष्क को उस प्रकार तैयार करना होगा,
देख पाओगे कि
कुछ दिनों के बाद
उन दोषों का अभिनय
तुम किस प्रकार कर रहे हो;--
इसलिए सावधान हो जाओ--
दोष देखने, दोष सोचने, विरक्ति
और आक्रोश से ! 11
--: श्री श्री ठाकुर, चलार साथी

बुधवार, अक्टूबर 1

दोषदृष्टि उन्नति का बाधक

दोषदृष्टि उन्नति का बाधक  

यदि उन्नत होना चाहो--
            दोषदृष्टि को चिर दिनों के लिये
                       विदा करो
                                  मनुष्य में जो गुणों को देखो
                                             वही सोचो, वही बोलो
                                                          और, चर्चा करो ; --
यथासंभव सावधान रहो--
            किसी का भी दोष तुम्हें 
                       किसी प्रकार
                                   क्षति नहीं पहुँचा सकेगा !     |10|


--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूल चन्द्र, चलार साथी

शुभदर्शी और मन्ददर्शी

शुभदर्शी ही देख पाता है
आपदा, विपदा, व्याघात और दुःख में
उन्नति और आनंद का
एक सुनहला मौका !--
किंतु मन्ददर्शी
सारी अच्छाइओं में
अबाध देखेगा अपारगता, असम्भवता--
एक दूरदृष्ट का दूरपनेय दूर्भोग ! 9
--: श्री श्री ठाकुर, चलार साथी